आदित्य-एल1 मिशन-Aditya-L1 Upsc:
आदित्य-एल1 मिशन भारत का पहला सूर्य मिशन है। इसमें सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लाग्रेंज बिंदु 1 (L1) के चारों ओर एक कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है। एल1 बिंदु के चारों ओर कक्षा में रखे गए अंतरिक्ष यान को सूर्य को बिना किसी आच्छादन/ग्रहण के लगातार देखने का प्रमुख लाभ है।
यह वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अधिक लाभ प्रदान करेगा।
आदित्य-एल1 (Aditya-L1)मिशन के प्रमुख वैज्ञानिक उद्देश्य हैं:
1. सौर ऊपरी वायुमंडल (चक्रवात और कोरोना ) के गतिशीलता का अध्ययन।
2. क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल तापन का अध्ययन, आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा का भौतिकी, कोरोनल मास इजेक्शन और फ्लेयर्स की शुरुआत।
3. सौर गतिकी और अंतरिक्ष मौसम के प्रभावों का अध्ययन।
आदित्य-एल1 मिशन (Aditya-L1 Mission) में सात वैज्ञानिक पेलोड शामिल हैं:
1. अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ (UVIS)
2. कोरोनल इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ (CIS)
3. कोरोनल प्रोब (CPM)
4. क्रोमोस्फेरिक प्रोब (CSM)
5. प्लाज्मा प्रोब (PPM)
6. मैग्नेटोस्फीयर प्रोब (MSP)
7. इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोग्राफ (IRS)
8. सौर गतिकी प्रोब (SDP)
तारीख और समय ( Date and Time):
आदित्य-एल1 मिशन को इसरो के पीएसएलवी-सी57 रॉकेट द्वारा श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से 2 सितंबर 2023 को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा। मिशन की अवधि पांच साल है।
आदित्य-एल1 मिशन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि है और यह हमारे सौर प्रणाली के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने में मदद करेगा। यह अंतरिक्ष मौसम की भविष्यवाणी और प्रबंधन में भी मदद करेगा, जो हमारे जीवन और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है।
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